रूंख रूखाळा आपणा बिना गरज रा सीर ।
फळ पत्ता दे आपरा सब की मेटै पीर ॥
निपट स्वारथी मांनखा तू क्यूं काटै रूंख ।
बिन पाणी छायां बिना खुद तू ज्यासी सूख ॥
दो लोटा नित का घणां बाल बिरछ म घाल ।
बडो हूय बण ज्यावसी बो थारो रखवाळ ॥
पाणी थोङा नेह घणां आ बिरछां नै बांट ।
सौ गुणी कर देवसी कदे न करसी आंट ॥
ढोर जिनावर पांखिया अ'र मिनखां री देह ।
रूंख बांटसी आपरो सबनै बरोबर नेह ॥
तपै तावङो जेठ म बरसै जाण्यूं आग ।
एक रूंख ई मोकळो लागै जाण्यूं बाग ॥
सूनी धरती आपणी थानैं कहे पुकार ।
बिरछ लगावो मानखां कर म्हारो सिणगार ॥
फळ पत्ता दे आपरा सब की मेटै पीर ॥
निपट स्वारथी मांनखा तू क्यूं काटै रूंख ।
बिन पाणी छायां बिना खुद तू ज्यासी सूख ॥
दो लोटा नित का घणां बाल बिरछ म घाल ।
बडो हूय बण ज्यावसी बो थारो रखवाळ ॥
पाणी थोङा नेह घणां आ बिरछां नै बांट ।
सौ गुणी कर देवसी कदे न करसी आंट ॥
ढोर जिनावर पांखिया अ'र मिनखां री देह ।
रूंख बांटसी आपरो सबनै बरोबर नेह ॥
तपै तावङो जेठ म बरसै जाण्यूं आग ।
एक रूंख ई मोकळो लागै जाण्यूं बाग ॥
सूनी धरती आपणी थानैं कहे पुकार ।
बिरछ लगावो मानखां कर म्हारो सिणगार ॥
सूनां सूनां
टीबड़ा सूनां सूनां खेत ।
उभी दिखै खेजड़ी
मन भर ज्यावै हेत ।।
करै अणूंता खट करम
ओढ धरम का चादरा ।
एड़ा मिनखां सूं आंतरो
सदा रांखजे भायला ।। १ ।।
ओढ धरम का चादरा ।
एड़ा मिनखां सूं आंतरो
सदा रांखजे भायला ।। १ ।।
मन की मन मं रांखणी
काढ न देणी हर खठ ।
मौको आयां बोलणूं
सदा भलेरो भायला ।। २ ।।
काढ न देणी हर खठ ।
मौको आयां बोलणूं
सदा भलेरो भायला ।। २ ।।
बोली का चोखा घणा
पहरै घाबा सांतरा ।
अंतस रा काळूंस को
बेरो पड़ै न भायला ।। ३ ।।
पहरै घाबा सांतरा ।
अंतस रा काळूंस को
बेरो पड़ै न भायला ।। ३ ।।
गांठ कदे न बांधणी
बांधेड़ी माड़ी घणी ।
फूट्यां पाछैं राद ज्यूं
फोड़ा घालै भायला ।। ४ ।।
बांधेड़ी माड़ी घणी ।
फूट्यां पाछैं राद ज्यूं
फोड़ा घालै भायला ।। ४ ।।
बिरथ कदे न बोलणूं
बोल्यां पैली तोल ।
मोल बणा तू बोल को
याद रांखजे भायला ।।५ ।।
बोल्यां पैली तोल ।
मोल बणा तू बोल को
याद रांखजे भायला ।।५ ।।
सवारथ री पैड़्यां चढ्या
मनवारां करसी घणी ।
मूंडो देख पिछाणबो
घणूं कुजरबो भायला ।।६ ।।
मनवारां करसी घणी ।
मूंडो देख पिछाणबो
घणूं कुजरबो भायला ।।६ ।।
देख पराई परगति
दुरमत कदे न पाळणी ।
दरपण बण दिख जावसी
मूंडा उपर भायला ।। ७ ।।
दुरमत कदे न पाळणी ।
दरपण बण दिख जावसी
मूंडा उपर भायला ।। ७ ।।
मन काळा तन ऊजळा
बोली का चोखा घणां ।
घात करै विश्वास सूं
चेत रांखजे भायला ।। ८ ।।
बोली का चोखा घणां ।
घात करै विश्वास सूं
चेत रांखजे भायला ।। ८ ।।
हीणां जण हांकै घणां
धरै न कोई कान ।
लांठा जण एकर भखै
तुरत सुणीजै भायला ।। ९ ।।
भायां म बसबो भलो
हुवो भलां बै दूबळा ।
दूजा जण लांठा घणां
काम न आवै भायला ।। १० ।।
धरै न कोई कान ।
लांठा जण एकर भखै
तुरत सुणीजै भायला ।। ९ ।।
भायां म बसबो भलो
हुवो भलां बै दूबळा ।
दूजा जण लांठा घणां
काम न आवै भायला ।। १० ।।
हक देवो थे हाकमां ,कैवै माटी बोल ।
आ वाणी राजस्थान री घणी है अनमोल ।।
दे द् यो थे अब मांनता , करल्यो थे अब कौल
आ वाणी राजस्थान री---------------------------
आ वाणी राजस्थान री घणी है अनमोल ।।
दे द् यो थे अब मांनता , करल्यो थे अब कौल
आ वाणी राजस्थान री---------------------------
मीठा मोर पपीहा बोलै अमरत जेड़ी वाणी ।
मीठा सोगर कैर सांगरी मीठा ई गुड़ धाणी ।।
मीठा लागै जिणरै मिनखां रा बोल
आ वाणी राजस्थान री
मीठा सोगर कैर सांगरी मीठा ई गुड़ धाणी ।।
मीठा लागै जिणरै मिनखां रा बोल
आ वाणी राजस्थान री
रूप सुरंगो भेष सुरंगो घणी सुरंगी नारी ।
जिणरी खातर देव सुरग रा भी जावै बलिहारी ।।
मानो म्हारी बातां नै थे अब मन की गांठ्यां खोल
आ वाणी राजस्थान री
जिणरी खातर देव सुरग रा भी जावै बलिहारी ।।
मानो म्हारी बातां नै थे अब मन की गांठ्यां खोल
आ वाणी राजस्थान री
घणां स्नेही संत अठ्यांरा घणां सुहाणां तीरथ ।
घणां रसीला लोग अठ्यांरा घणी सोवणी सीरत ।।
बाजै मंदिर मं अलगोजा झांझर ढोल
आ वाणी राजस्थान री
घणां रसीला लोग अठ्यांरा घणी सोवणी सीरत ।।
बाजै मंदिर मं अलगोजा झांझर ढोल
आ वाणी राजस्थान री
मायङ भाषा आपणी
थांसूं करै पुकार ।
सुध लेवो नी बालकां
कद तक रैवूं लाचार ॥
संसद मं भेळा हुया
सांसद अबकी बार ।
एक मतौ कर मांगल्यो
अनुसूची अधिकार ॥
पुरातन सूं लेयकर
आधुनिक इतिहास ।
सामै रखद्यो खोलकर
पढल्यो महानुभाव ॥
नवरस भरी वाणी अठे
मिनखां रो सिणगार ।
तेज ताप भी मोकळो
लाज शरम गळहार ॥
थांसूं करै पुकार ।
सुध लेवो नी बालकां
कद तक रैवूं लाचार ॥
संसद मं भेळा हुया
सांसद अबकी बार ।
एक मतौ कर मांगल्यो
अनुसूची अधिकार ॥
पुरातन सूं लेयकर
आधुनिक इतिहास ।
सामै रखद्यो खोलकर
पढल्यो महानुभाव ॥
नवरस भरी वाणी अठे
मिनखां रो सिणगार ।
तेज ताप भी मोकळो
लाज शरम गळहार ॥
धन की खातर धर्म छोड नै
ठेका घाल्या दारू का
कुल मर्यादा लारैं रहगी
ठहरै क्यांकै सारू बा
छोङ आपका देश धर्म नै
दो नंबर का काम करै
इज्जत की जिंदगानी छोडी
गंडक की सी मौत मरै
डरै अणूंता भला आदमी
डरता क्यूं भी बोलै नीं
देख्यां पैली आंख्यां मींचै
मूंडो पाछै खोलै नीं
ठेका घाल्या दारू का
कुल मर्यादा लारैं रहगी
ठहरै क्यांकै सारू बा
छोङ आपका देश धर्म नै
दो नंबर का काम करै
इज्जत की जिंदगानी छोडी
गंडक की सी मौत मरै
डरै अणूंता भला आदमी
डरता क्यूं भी बोलै नीं
देख्यां पैली आंख्यां मींचै
मूंडो पाछै खोलै नीं
खेतां पाची सिरस्यूंङी रै
कोई पाच्या गेहूं लाल
चीणां पाच्या सांतरा रै
कोई मेथी कर दी न्यहाल
पीपळ पून्यूं सामनै रै
कोई सामी आखातीज
ब्याव मांडस्यां ई सावै रै
कोई ल्यास्यां चोखी चीज
क बैरी बरसग्यो रै
जाण्यूं आय पङ्यो रै कोई काळ
क बेटा जाट का रै
देखां कियां हुवै तू मालामाल
गळगी सारी ढूंगरियां रै
कोई काळा पङग्या बीज
बुझग्या मन का दीवळा रै म्हांका
क्यां पर काढां खीज
क बीरा नणद का रै
अबकै आच्छी आई रै आखातीज
कोई पाच्या गेहूं लाल
चीणां पाच्या सांतरा रै
कोई मेथी कर दी न्यहाल
पीपळ पून्यूं सामनै रै
कोई सामी आखातीज
ब्याव मांडस्यां ई सावै रै
कोई ल्यास्यां चोखी चीज
क बैरी बरसग्यो रै
जाण्यूं आय पङ्यो रै कोई काळ
क बेटा जाट का रै
देखां कियां हुवै तू मालामाल
गळगी सारी ढूंगरियां रै
कोई काळा पङग्या बीज
बुझग्या मन का दीवळा रै म्हांका
क्यां पर काढां खीज
क बीरा नणद का रै
अबकै आच्छी आई रै आखातीज
विश्वासां की डोर टूटगी
घर मं पङगी राङ ।
हेतभाव माटी मं रळगो
ऊंची करली बाङ ॥
चौपालां अब सूनी हुगी
गायब हुया गुवाङ ।
फुलवाङी की ठौङ कंटीला
उग आया अब झाङ ॥
मिनखाचारो भूल गया सब
ले सवारथ की गांठ ।
राजनीति री रोट्यां सेकै
गेर आपस मं आंट ॥
निजरांसामी जाय शरम अब
कर न सकां उपाय ।
की - की को विश्वास करां अब
बाङ खेत न खाय ॥
घर मं पङगी राङ ।
हेतभाव माटी मं रळगो
ऊंची करली बाङ ॥
चौपालां अब सूनी हुगी
गायब हुया गुवाङ ।
फुलवाङी की ठौङ कंटीला
उग आया अब झाङ ॥
मिनखाचारो भूल गया सब
ले सवारथ की गांठ ।
राजनीति री रोट्यां सेकै
गेर आपस मं आंट ॥
निजरांसामी जाय शरम अब
कर न सकां उपाय ।
की - की को विश्वास करां अब
बाङ खेत न खाय ॥
एक गादङा नै मरेङो हाथी मिलगो । सोची, चलो दो तीन महिना तो आराम ऊं निकळसी । पण हाथी को मोटो चाम कियां फाटै ।
च्यारूं मेरे घूम्यो जणां मांय घुसबा जती जगां मिलगी अर गादङो मांय घुसगो ।
निरा दिनां तांय मांय बङ्यो बङ्यो खाबो करियो पण टेम सारू हाथी को चमङो सूख'र कल्डो पङगो ।
अब मांय नै भोजन नींवङ्यां पछ गादङो बारै नै निकळबा की सोची पण ओ कांई ? मांय बङ्यो जकी जगां तो भेळी हूयनै सिकुङगी । अब कांई करै बो बैठ्यो बिचार करोय हो क बीनै आदमी बोलता सुणीज्या ।
गादङो उपाय सोचनै हेलो मारियो - "अरै भाई लोगां सुणो , मैं बनदेवता हुं ई हाथी कै खोबरा म तेल चढावो तो थानै काम की बात बतास्यूं ।"
आदमी जायनै तेल ल्यार खोबरा म गेर दियो ।
अब क्यूं तेल ऊं खाल नरम हुई क्यूं गादङो तेल म चीकणूं हुयो अर बो बारै नै आयगो ।
आदमी बोल्या -"अब बतावो बनदेवता काम की बात ।"
गादङो बोल्यो -"भायो काम की बात आ है कै ठाडाई म घुसबो तो घणूं सोरो है पण निकळबो दोरो जखो ठाडाई देखनै मांय बङबा की मनचली मनां कर लिज्यो ।"
च्यारूं मेरे घूम्यो जणां मांय घुसबा जती जगां मिलगी अर गादङो मांय घुसगो ।
निरा दिनां तांय मांय बङ्यो बङ्यो खाबो करियो पण टेम सारू हाथी को चमङो सूख'र कल्डो पङगो ।
अब मांय नै भोजन नींवङ्यां पछ गादङो बारै नै निकळबा की सोची पण ओ कांई ? मांय बङ्यो जकी जगां तो भेळी हूयनै सिकुङगी । अब कांई करै बो बैठ्यो बिचार करोय हो क बीनै आदमी बोलता सुणीज्या ।
गादङो उपाय सोचनै हेलो मारियो - "अरै भाई लोगां सुणो , मैं बनदेवता हुं ई हाथी कै खोबरा म तेल चढावो तो थानै काम की बात बतास्यूं ।"
आदमी जायनै तेल ल्यार खोबरा म गेर दियो ।
अब क्यूं तेल ऊं खाल नरम हुई क्यूं गादङो तेल म चीकणूं हुयो अर बो बारै नै आयगो ।
आदमी बोल्या -"अब बतावो बनदेवता काम की बात ।"
गादङो बोल्यो -"भायो काम की बात आ है कै ठाडाई म घुसबो तो घणूं सोरो है पण निकळबो दोरो जखो ठाडाई देखनै मांय बङबा की मनचली मनां कर लिज्यो ।"