1.पूनम माटिया –
टुकड़ो में बाँट देता है , पूरा होने नहीं देता । मुमकिन है जीत जाऊँ मैं ,
जिस लम्हा जोड़ लूँ ख़ुद को ।
2. डॉ अंजू सुमन
साधक – ममता की अब हो गयी,
है ये कसी शक्ल । मात पिता करने लगे, आरुषियों के कत्ल ।।
3. मनजीत कौर “मीत” “माँ दिल डरता है अब तो , अब तो सुन खबरे
बदकारी की , कोमल कमसिन तू
क्या जाने नजरें इन मक्कारों की ।
4. सुनीता पाहूजा –
मुझे पंख देकर उड़ना सिखाया तुमने, छु लूँ आसमान ये हौसला दिलाया तुमने , अब मेरी इन ऊंचाइयों से डरना न तुम , अब मेरे ये पंख देखो कतरना न तुम ।
5. “सृजन से” की संपादिका मीना पाण्डेय “ लेके चल जिंदिगी बचपन के गाँव में, संदली फिज़ाओं में पीपल की छांव में ।
6. डॉ जेन्नी शबनम “
पर्दे की ओट से इस तरह झाँकती है खिड़की मानो
कोई देख न ले मन में आस भी और चाहत भी / काश कोई देख न ले ।
7. श्यामा अरोड़ा –
समझ कर हीन अपने पर स्वयं अन्याय न मत करिए,
तुम्हारी शक्ति सारा विश्व चरणों में झुका देगी
, उठो जागो तुम्हारे जागरण
का वक्त आया है । तुम्हारी चेतना सोई मनुजता को जागा देगी ।
8. सुप्रिया सिंह “वीना” – माँ की ममता का अमर कोश / कभी मिटा सका क्या मृत्युबोध /
तेरी आँचल की छाया में / स्वछंद निडर अंजान डगर पर चलती थी ।
09. नवोदित आकांक्षा
तिवारी “माँ तू कितनी अच्छी है “
गीत सुनाया
10. निधि गौतम –
देख कर वीरों का जज्बा हम नतमस्तक होते हैं ,
इन वीरों की खातिर हम चैन से सोते हैं । -
सुन लिया,
अब गुनो तो सही।
मनका अपने चुनो
तो सही।
रूई अपने विचारों
की तुम,
मित पहले धुनो तो
सही।
हाथ में हाथ दो तो सही
साथ मैं हूँ चलो तो सही
साथ मैं हूँ चलो तो सही
फाड़ कर फेंक देना, मगर
ख़त को मेरे पढ़ो तो सही
ख़त को मेरे पढ़ो तो सही
आप बैठे हैं ख़ामोश क्यों
सुन रहे हैं, कहो तो सही
सुन रहे हैं, कहो तो सही
दो बदन, एक जां, एक रूह
कृष्ण-राधा बनो तो सही
कृष्ण-राधा बनो तो सही
तल्ख़ियाँ ख़त्म हो जाएंगी
कुछ कहो, कुछ सुनो तो सही
कुछ कहो, कुछ सुनो तो सही
हर तसव्वुर की ताबीर हूँ
ख़्वाब तुम इक बुनो तो सही
ख़्वाब तुम इक बुनो तो सही
चाँदनी, चाँद , पूनम की शब
और मैं हूँ , रुको तो सही ..........
और मैं हूँ , रुको तो सही ..........
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